डिस्चार्ज पिटीशन कब दाखिल करनी चाहिए।
PROVISION: BNSS SECTION 250
(1) अभियुक्त धारा 232 के अधीन मामले की प्रतिबद्धता की तारीख से 60 दिन की अवधि के भीतर डिस्चार्ज के लिए आवेदन कर सकता है।
(2) यदि मामले के अभिलेख और उसके साथ प्रस्तुत दस्तावेजों पर विचार करने के बाद, तथा अभियुक्त और उसकी ओर से अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश को लगता है, कि अभियुक्त के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है, तो वह अभियुक्त को उन्मोचित करेगा तथा ऐसा करने का कारण अभिलिखित करेगा।
डिस्चार्ज पिटीशन कब दाखिल करे।
डिस्चार्ज पिटीशन ऐसे दाखिल करे।
(3) कानूनी आधार : जब लगाए गए आरोप कानून को श्रेणी में नहीं आते तब डिस्चार्ज पिटीशन दाखिल करे.
(4) साक्ष्य की कमी के कारण : यदि अभीयोजन पक्ष के गवाह और बयानों में विरोधाभास दिखाई दे तब या उनके पास कोई मजबूत सबूत ना हो तब डिस्चार्ज पिटीशन फाइल कर सकते हैं।
प्रक्रिया:
(1) पिटीशन तैयार करे : एक वकील के माध्यम से पिटीशन तैयार करें और इसमें यह बताएं की लगाए गए सारे आरोप गलत है,आरोप निराधार हैं और यह खारिज होने चाहिए.
(2) कोर्ट में पिटीशन सबमिट करें : जिस कोर्ट के मामला चल रहा है उस कोर्ट में पिटीशन सबमिट करें.
(3) सुनवाई : कोर्ट में दाखिल की गई यह पिटीशन उसके ऊपर कोर्ट सुनवाई करेगा और अभियोजन पक्ष को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा.
(4) आदेश : अगर अदालत को लगता है कि अभियोजन पक्ष के पास पूरा सबूत नहीं है, तो अदालत आरोपी को आरोपों से डिस्चार्ज कर सकती है।
डिस्चार्ज पिटीशन एक महत्त्वपूर्ण कानूनी उपाय है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं होते है। या जब आरोप स्वयं की अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, यह पिटीशन कोर्ट आरोप तय करें उससे पहले दाखिल की जानी चाहिए, इसका उद्देश्य यही है कि आरोपी को अनावश्यक आपराधिक मुकदमे की प्रक्रिया से गुजर से बचाया जाए।