बुलडोजर कारवाही के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई सुप्रीम कोर्ट में,

किरायेदार के बेटे के अपराध के लिए मकान मालिक का घर बुलडोजर से किया ध्वस्त : बुलडोजर कारवाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर।



मध्य प्रदेश और राजस्थान में अधिकारीयो द्वारा बुलडोजर कारवाही के खिलाफ तत्काल राहत की मांग करने वाली दो याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई इस मामले की सुनवाई 2 सितंबर को होगी।

सीनियर एडवोकेट सियू सिंह ने जस्टिस बी आर गवई और के विश्वनाथ की खंडपीठ समक्ष याचिका दायर कर उल्लेख किया की इसे वृंदा करात vs उत्तरी दिल्ली नगर निगम और अन्य ( जिसे दिल्ली के जहांगिरपुरी में 2022 के विध्वंस अभियान को चुनौती देने वाली याचिका ) की सुनवाई की अगली तारीख पर लिया जाए।


आगे कहा कि।

पुश्तैनी घर के संबंध में आवेदन दायर किया गया था, और जिस दिन परिवार के सदस्य को गिरफ्तार किया गया उसी दिन पुश्तैनी घर के सामने का हिस्सा गिरा दिया था। वो भी बिना कोई नोटिस जारी किए बिना घर को तोड़ दिया था। जहा दूसरी और उदयपुर के एक किरायेदार का बेटा आपराधिक मामले में आरोपी था, जिसके कारण मकान मालिक का मकान तोड़ दिया गया था।



2022 का केस:

दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर का एक्शन लिया गया था और निर्धारित विध्वंस को पूरा करने के लिए अभियान चलाया गया था। इस अभियान से संबंधित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने के बाद अंततः इस कारवाही को रोक दिया गया था। याचिका दायर कर इसमें मांग की गई थी के अधिकारी इस तरह दंड के रूप में बुलडोजर कारवाही करके मकान विध्वंस की कारवाही का सहारा नहीं ले सकते। वृंदा करात द्वारा दायर की गई याचिका में अप्रैल में शोभा यात्रा निकाली गई थी और यात्रा में जुलुस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा के बाद जहांगीरपुरी इलाके में विध्वंस की कारवाही को चुनौती दी गई थी।


2023 में सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता के वकील ने तर्क दिया कि  घर का अधिकार संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जीवन जीने के अधिकार का एक पहलू है। और उन्हों ने ये भी कहा की न्यायालय को ध्वस्त किए गए मकानों को पुनःनिर्माण का आदेश भी देना चाहिए ।


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